Supreme Court On Life Insurance Claim : सुप्रीम कोर्ट ने जीवन बीमा पॉलिसी के क्लेम को लेकर सुनाया अपना अहम फैसला। इस फैसले में जीवन बीमा पॉलिसी लेने वाले लोगों को सचेत भी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जीवन बीमा पॉलिसी एक अत्यधिक विश्वास का अनुबंध है, तथा सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा करना बीमाधारक कर्तव्य है। अन्यथा ऐसे तथ्यों का खुलासा न करने पर दावे को खारिज किया जा सकता है।
डिजिटल डेक्स, नई दिल्ली। जीवन बीमा पॉलिसी ( Life Insurance Policy) के क्लेम को लेकर आज एक हम फैसला घोषित किया गया है। अपने इस फैसले में शीर्ष न्यायालय ने जीवन बीमा पॉलिसी लेने वाले ऐसे लोगों को सावधान भी किया है।

Supreme Court On Life Insurance Claim : विद्यमान पॉलिसीयों का खुलासा करना हुआ जरूरी ।
Supreme Court On Life Insurance Claim : दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बताया है कि जीवन बीमा पॉलिसी लेते वक्त अन्य उपस्थित पॉलिसीयों का खुलासा न करने पर क्लेम दावे को खारिज कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जीवन बीमा पॉलिसी एक अत्यधिक विश्वास का अनुबंध है तथा सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा करना बीमाधारिक कर्तव्य है अन्यथा ऐसे तथ्यों का खुलासा न करने पर दावे को रद्द भी किया जा सकता है।
दूसरी ओर, कोर्ट में चल रहे केस में अपीलकर्ता के पक्ष में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बीमा कंपनी को 4 प्रतिशत सलाना ब्याज के साथ बीमा राशि देने का आदेश दिया।
लाइव ला. की जांच के अनुसार जस्टिस बी. वी. नगरत्ना तथा सतीश चंद्र शर्मा वर्तमान मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि अपीलकर्ता के पिता श्री ने प्रतिपक्ष (एक्साइड Life Insurence ) से 25 लाख की बीमा पॉलिसी ली थी। उनके पिता की मृत्यु के बाद, अपीलकर्ता ने जीवन बीमा पॉलिसी के तहत लाभ का भुगतान करने के लिए दावा प्रस्तुत किया।
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Supreme Court On Life Insurance Claim : अपीलकर्ता ने छिपाया बीमा पालिसी।
Supreme Court On Life Insurance Claim : दरअसल इस आधार पर दावे को रद्द कर दिया जाता है कि अपीलकर्ता के पिता आविवा Life Insurence से ली गई केवल एक पॉलिसी का खुलासा किया गया है, जबकि दूसरी ओर अन्य कई दूसरी जीवन बीमा पॉलिसीयों को छिपाया गया।
इसके अलावा, अपीलकर्ता के दावे को राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने रद्द कर दिया था। इस मजबूरन में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मदद की आशा रखी।
प्रारंभ में सुप्रीम कोर्ट की जांच में पाया गया कि अपीलकर्ता के द्वारा बताई गई पॉलिसी 40 लाख की थी। जबकि यह राशि उन पॉलिसीयों से काफी अधिक थी, जिनका तब तक खुलासा नहीं किया गया था। हालांकि, कुल राशि 2.3 लाख की थी।
कोर्ट ने पाया कि इससे बीमाकर्ता को यह प्रश्न पूछने का अवसर मिल गया कि, बीमाधारक ने इतने कम समय में दो अलग-अलग पोलिसिया क्यों ली थी।

Supreme Court On Life Insurance Claim : कोर्ट का कहना है – बीमाधारक ने किये पर्याप्त खुलासे।
Supreme Court On Life Insurance Claim : हालांकि वर्तमान मामले में न्यायालय ने पाया कि बीमा धारक ने पहले ही पर्याप्त खुलासे किए हुए हैं, जबकि अन्य पॉलिसीया अर्थहिन राशि की थी।
अपीलकर्ता के पिता ने प्रस्ताव फॉर्म दाखिल करते वक्त अपने द्वारा ली गई अन्य जीवन बीमा पॉलिसी के बारे में बताया था, परंतु अन्य जीवन बीमा पॉलिसी के बारे बताने में वह असमर्थ रहे। कोर्ट ने बताया कि जिस पॉलिसी के बारे में बात हो रही है वह मेडिकल पॉलिसी नहीं थी, वह एक जीवनबीमा कवर है, और बीमाधारक की मृत्यु दुर्घटना के कारण हुई है। कोर्ट नहीं है अभी बताया है कि इस कारण दूसरी बीमा पॉलिसी का खुलासा न करना इस बीमापॉलिसी के संबंध में महत्वहीन है।

Supreme Court On Life Insurance Claim : कंपनी को 9% बीमा राशि देने का आदेश।
Supreme Court On Life Insurance Claim : इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया की कंपनी द्वारा दावा रद्द करना अनुचित है, इसलिए कंपनी को प्रतिवर्ष 9 फीसद ब्याज के साथ बीमा राशि देनी होगी।
इसलिए को अंतिम तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। अगर आप और भी ऐसी जानकारी लेना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट janmanchindia से जुड़ जाए।
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