Happy Rath Yatra 2025 : जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से हुई शुरू रथ खींचने वाली तीनों रस्सीयों के क्या हैं खास नाम जानिए ।

Happy Rath Yatra 2025 : उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध है यह रहस्य से भरा हुआ मंदिर है जहां पर भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भाई बलदेव विराजमान है इस मंदिर के दर्शन के लिए विश्व के कोने-कोने से लाखों लोग हर साल पूरी पहुंचते हैं लेकिन उससे भी भाव पुरी में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा है जिसको देखने और उसमें सम्मिलित होने के लिए विश्व के कोने-कोने से लोग हर साल पहुंचते हैं

भगवान के रथ को खींचने के लिए लगी राशियों को सिर्फ स्पर्श करने के लिए लोग लालाईत रहते हैं भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन ही नहीं बल्कि करोड़ों हिंदुओं के आस्था प्रेम और समर्पण का भी एक उदाहरण है इस मंदिर से जुड़ी हुई और इस रथ यात्रा से जुड़े हुए कई तथ्य आज भी लोगों को चौंका देने वाले हैं 2025 की रथ यात्रा 27 जून से 8 जुलाई तक चलेगी और इस रथ यात्रा में करोड़ों श्रद्धालु सम्मिलित होंगे हम बात करने वाले हैं इस रथ यात्रा से जुड़े हुए कुछ तथ्यों के बारे में।

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Happy Rath Yatra 2025 : आईए जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत और समय के बारे में।

Happy Rath Yatra 2025 : उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में प्रत्येक साल होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा में दुनिया भर के लाखों श्रद्धालु उमंग और उत्साह से इसे देखने के लिए सम्मिलित होते हैं साथ ही इस रथ यात्रा में अपने आप को सम्मिलित पाकर वह अपने को धन्य समझते हैं भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इस साल 27 जून से शुरू होकर 8 जुलाई तक चलने वाली है जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विशाल रातों पर सवार होकर पुरी शहर के मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं

यह यात्रा Total 15 दिनों तक चलती है और हर एक दिन का एक खास महत्व होता है भोपाल के ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि इस बार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 27 जून है और इसी दिन रथ यात्रा की शुरुआत हुई है पंचांग के अनुसार 27 जून को सुबह 5:25 से 7:22 तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहता है जिसे अभिजीत मुहूर्त भी कहा जाता है इसके बाद पुष्य नक्षत्र 27 जून को 11:56 से 12:52 तक रहता है इसी समय भगवान की यात्रा शुरू हुई।

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Happy Rath Yatra 2025 : रथ यात्रा में लगने वाली राशियों के भी होते हैं अलग-अलग नाम।

Happy Rath Yatra 2025 : आप में से बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में जिन तीन राशियों का इस्तेमाल किया जाता है उनका भी अपना एक महत्व है और उनके भी अलग-अलग नाम है भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले रथ को नदी घोष के नाम से जाना जाता है और इशरत की रस्सी का नाम शंखाचूड़ा नाड़ी कहा जाता है

भगवान बलभद्र जी के रथ में कुल 14 पहिए होते हैं और उनके रथ का नाम तालध्वज कहा जाता है कि रथ को खींचने के लिए जिस रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है उसे रस्सी का नाम बासुकी है
भगवान जगन्नाथ की बहन देवी सुभद्रा के रथ में कुल 12 पहिए होते हैं जिन्हें दर्पदलन कहा जाता है और इस रथ को खींचने वाली रस्सी का नाम स्वर्णचूड़ा नाड़ी है।

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Happy Rath Yatra 2025 : कौन-कौन खींच सकता है भगवान जगन्नाथ के रथ को।

Happy Rath Yatra 2025 : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं रहता है अर्थात कोई भी व्यक्ति वह किसी भी धर्म का हो जाती का हो या देश का हो इस रथ को खींच सकता है बस इतनी सी शर्त होती है कि वह पूरे मन से सच्चे भाव से भरा हो क्योंकि ऐसी मान्यता है कि रथ की रस्सी जो भी व्यक्ति खींचता है वह जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।

Happy Rath Yatra 2025 : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई।

Happy Rath Yatra 2025 : वैदिक पुराने के अनुसार भगवान जगन्नाथ एक दिन अपनी बहन सुभद्रा को नगर दिखाने के लिए रथ पर बिठाकर नगर भ्रमण करवाया जहां पर वह अपनी मौसी गुंडिचा के घर भी गए और वहां 7 दिनों तक ठहरे तभी से ऐसा माना जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत हुई और आज भी पूरी की यह रथ यात्रा विभिन्न रथो के माध्यम से मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक होती है।

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Happy Rath Yatra 2025 : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का क्या है धार्मिक महत्व।

Happy Rath Yatra 2025 : ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा में शामिल होने से पुराने जितने भी कम हैं उनका बोझ हल्का हो जाता है और मां को शांति प्राप्त होती है ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त इस यात्रा में भाग लेते हैं उन्हें 100 यज्ञ करने के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है।

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