KK Pathak Controversy 2024 : अब KK Pathak के विवाद को मिल गया है हाई कोर्ट की तरफ से निपटारा, अब की बार की बैठक में VC भी आएंगे जानिए क्या है इसकी सच्चाई।

 

KK Pathak Controversy 2024 : अब शिक्षा विभाग के एसीएस KK Pathak का टकराव अब राजभवन और विश्वविद्यालयो से अब टल गया है । जब पटना के हाई कोर्ट में दोनों पक्षों को शुक्रवार को बुलाया गया तो बहुत लंबी सुनवाई के बाद दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से सुलह हो गई ।

बिहार में अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और विश्वविद्यालय के कुलपतियों के बीच में जो विवाद चल रहा था वो अब फिलहाल थम गया है । इसी बीच दोनों पक्षों से पटना हाई कोर्ट में सुलह भी हो गयी है । इस बार 6 मई को शिक्षा विभाग आयोजित के बैठक में सभी यूनिवर्सिटी की वीसी भी शामिल होगी । वहीं विभाग की ओर से भी यूनिवर्सिटी के बैंक खाते में कोई आचरण पर लागाया गया रोक भी हटाने का आदेश अदालत से दे दिया गया है ।

पटना के हाई कोर्ट में बिहार के विश्वविद्यालय की ओर से दायर रिट याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की गई । कुछ देर तक लंबी सुनवाई चली उसके बाद आप सी सहमति से दोनों पक्षों के बीच बात बन गई । अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी ।

अब विश्वविद्यालय की वीसी के साथ शिक्षा विभाग के द्वारा बैठक करने की KK Pathak ने अपनी सहमति दे दी है । इससे पहले भी बहुत बार ऐसा हुआ है की मीटिंग रखने के बाद एक भी वीसी के लोगो को नहीं आने पर वो मीटिंग KK Pathak के द्वारा स्थगित कर दी जाती थी । अब हम आपको बता दें कि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आलेर्कर के राजभवन सचिवालय की तरफ से बैठक में शामिल होने देने की अनुमति विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को दी ही नहीं गई थी ।

KK Pathak Controversy 2024
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KK Pathak Controversy 2024 : अब पता चला है कि KK Pathak की बैठक में वीसी के साथ की जाती है बदसलूकी ………

 

KK Pathak Controversy 2024 : सभी वीसी की तरफ से हाई कोर्ट में शुक्रवार को कहा गया है कि शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक में सौहार्द से भरा हुआ माहौल होना चाहिए । किसी के साथ में बदसलूकी नहीं की जानी चाहिए । इसी बात को ले कर के शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने अदालत को बता दिया कि पूरी बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी । इसी के बीच उन्होंने ये भी कहा की कोई भी अधिकारी किसी के साथ में बदसलूकी नहीं करेगा और उन्होंने ये भी बताया कि वीसी एवं यूनिवर्सिटी के अन्य अधिकारियों से भी पूरा सहयोग दिया जाएगा ।

KK Pathak Controversy 2024
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KK Pathak Controversy 2024 : यूनिवर्सिटी में परीक्षा के समय में संचालन करने को लेकर चर्चा ।

 

KK Pathak Controversy 2024 : अब पटना के हाईकोर्ट में जस्टिस अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने शुक्रवार को ही एक – एक कर विश्वविद्यालय की ओर से दायरो की अर्जी पर सुनवाई कर दी । उनका यह कहना था कि शिक्षा विभाग KK Pathak की ओर से एक पत्र जारी किया गया और कहा गया कि यूनिवर्सिटी में परीक्षा के समय में संचालन करने को लेकर चर्चा के लिए बैठक भी बुलाई गई । इसी बैठक में भाग नहीं लेने वालों पर विभाग ने विश्वविद्यालयो के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश आने तक रोक लगा दी गई है ।

अब अधिवक्ता विध्यांचल राय के सहित सिद्धार्थ प्रसाद, राणा विक्रम सिंह, रितेश कुमार, अशहर मुस्तफा, राजेश चौधरी इन सभी ने हाई कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय के कानून के तहत शिक्षा विभाग ने वीसी को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बोला सकते । अब वरीयता क्रम के चांसलर यानी की राज्यपाल को सबसे ऊपर रखते हैं । उसके बाद वीसी को रखा जाता है फिर प्रोवीसी को रखा जाता है । उसके बाद अब विभाग के सचिव का नंबर आता है । ऐसे में किसी भी विभाग के सचिव और निदेशक बैठक में भाग लेने के लिए वीसी को नहीं बुला सकते ।

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KK Pathak Controversy 2024 : विश्वविद्यालय के खाते के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार किसी को नहीं है ।

 

KK Pathak Controversy 2024 :  उन्होंने तो यह दलील भी दी है कि 2009 में ही चांसलर ने एक आदेश जारी करते हुए विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों को निर्देश दे रखा है कि उसकी अनुमति के बाद ही मुख्यालय छोड़ा जा सकता है । उन्होंने तो कोर्ट को यह भी बताया है कि बैठक में वीसी के साथ बदसलूकी भी की जाती है । जिस कारण से सभी कुलपतियों ने केके पाठक को मीटिंग में जाने से मना कर दिया । इतना ही नहीं पिछले दिनों दो दिवसीय बैठक एक होटल में भी आयोजित की गई थी । इस बैठक में वीसी तो आए परंतु शिक्षा विभाग की तरफ से कोई भी नहीं आया ।

विश्वविद्यालय की ओर से जब हाई कोर्ट में यह कहा गया कि अब तो यह हाल हो गया है कि आरडीडीई वीसी के खिलाफ़ में एफआईआर दर्ज कर रही है । शिक्षा विभाग ने तो एक माह में तीन – तीन सत्रो की परीक्षा लेने का दबाव भी बनाया जा रहा है । इस बार वीसी की तरफ से जो नियुक्ति होगी उसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं रहेंगी । फिर भी उन पर बेवजह दबाव बना कर ये सब किया जा रहा है । अब तो विश्वविद्यालय के खाते के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार किसी को नहीं है ।

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