Pushpak Reusable Roket Launch : कहते हैं कि त्रेता युग में एक पुष्पक विमान हुआ करता था जिसको लंका का राजा रावण के द्वारा इस्तेमाल किया जाता था लंका विजय के बाद भगवान श्री राम ने उसे विमान में बैठकर अयोध्या वापस आए थे यह भी कहा जाता है कि वह मन की गति से चलता था। आज हम सब 21वीं सदी के इस पुष्पक विमान के बारे में जानेंगे भारत के इसरो चीफ ने पुष्पक विमान नमक रॉकेट का निर्माण किया है। जिसको 21वीं सदी का पुष्पक विमान कहा जाता है।

Pushpak Reusable Roket Launch : क्या-क्या खासियत है इस पुष्पक विमान रॉकेट में ?
Pushpak Reusable Roket Launch : इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का कहना है कि इस पुस्तक विमान में अंतरिक्ष तक भारत की पहुंच को काफी किफायती बना देने में सक्षम है भारत का आधुनिक पुष्पक विमान लॉन्च के लिए तैयार है एस यू वी आकार के पंखों वाला यह रॉकेट शुक्रवार यानी 22 मार्च को कर्नाटक के चलाकेरे से सुबह 7:00 उड़ान भरकर इतिहास रच दिया यह इसका तीसरा परीक्षण उड़ान था पुष्पक एक रेयूजेबल लॉन्च व्हीकल है या हवाई जहाज जैसा दिखाई देता है जिसकी लंबाई 6.5 मीटर है और इसका वजन तकरीबन 1.75 टन है इसे स्वदेशी अंतरिक्ष सटल भी कहा जाता है जटिल परिस्थितियों में इसकी रोबोटिक लैंडिंग क्षमता का भी परीक्षण किया जाएगा।

Pushpak Reusable Roket Launch : पुष्पक किस प्रकार से भारत के लिए है खास।
Pushpak Reusable Roket Launch : एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इसरो के अध्यक्ष ने इस विमान के बारे में बहुत ही सकारात्मक पक्ष रखे हैं पुष्पक लॉन्च व्हीकल अंतरिक्ष तक भारत की पहुंच को सबसे किफायती बनाने का एक साहसिक प्रयास है एस सोमनाथ का कहना है कि यह भारत का भविष्य है क्योंकि यह रेउसेबल लॉन्च व्हीकल है जहां सबसे ज्यादा महंगा ऊपरी हिस्सा होता है जिसमें सभी महंगे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लगे हुए होते हैं इसे सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर दुबारा इस्तेमाल किया जा सकता है बाद में यह कक्षा में सैटेलाइट में ईंधन भरने एवं सेटेलाइट की कक्षा से वापस लाने का भी काम करने में सक्षम हो जाएगा भारत अंतरिक्ष मलबे को कम करना चाहता है और पुष्पक उसी का एक बेहतर विकल्प है।

Pushpak Reusable Roket Launch : पुष्पक के निर्माण में कितना समय लगा और क्या है अन्य खासियत।
Pushpak Reusable Roket Launch : पुष्पक विमान के निर्माण में तकरीबन एक दशक का समय लग गया इसको सबसे पहले 2016 में श्रीहरिकोटा से उड़ान के लिए तैयार किया गया था और बंगाल की खाड़ी में एक वर्चुअल रनवे पर सफलतापूर्वक उतर गया था बाद में वह समुद्र में डूब गया था इसका दोबारा प्रशिक्षण 2 अप्रैल 2023 को किया गया इसको भारतीय सेवा के चीनू के हेलीकॉप्टर से हवा में उठाकर एक ऑटोनॉमस लैंडिंग में छोड़ा गया था जहां इसे बिना किसी रूकावट के सफलतापूर्वक इसका टेस्ट पूरा किया गया था। Pushpak Reusable Roket Launch

Pushpak Reusable Roket Launch : क्यों इसका नाम पुष्पक विमान रखा गया।
Pushpak Reusable Roket Launch : इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इसका नाम पुष्पक विमान के नाम पर रखा क्योंकि यह भारत का प्रसिद्ध अंतरिक्ष यान है इसके बारे में रामायण में भी वर्णन किया गया है जो धन के देवता कुबेर का वाहन भी माना जाता है इसीलिए भारत के सबसे साहसी 21वीं सदी के इस विमान का नाम पुष्पक रखना ज्यादा बेहतर लगा उन्होंने यह भी कहा की उम्मीद है कि आने वाले समय में जब यह कमर्शियल रूप में उपलब्ध लांचर बन जाएगा तो भारत के लिए शायद बहुत ही बेहतर साबित होगा Pushpak Reusable Roket Launch